उन्हें हर समस्या का उत्तर उसका निदान ऋग्वेदा रामायण जैसे किताबों में नज़र आता है. उसी तरह मुझे हर समस्या का उत्तर निदान "Annihilation of Caste" जैसी महान रचना में दीखता है !
अध्याय 5 - वंश और रक्त का सुधार और जाति प्रथा. ब्राह्मणों का कहना है जाति प्रथा के द्वारा वंश और रक्त की शुद्धता की रक्षा होती है. एथनोलोजिस्ट वैज्ञानिकों का दावा है शुद्ध रक्त और शुद्ध प्रजाति के लोग अब दुनिया में कहीं नही हैं.
जाति प्रथा सिर्फ रक्त की शुद्धता के रक्षा के लिए है तो एक साथ भोजन करने में रोक का क्या संबंध है. अलग अलग मोहल्ले क्यों. अच्छे कपड़े पहनने पर, बड़ा मकान बनाने पर, घोड़ी चढ़ने पर, मुंछ रखने पर... ऊंची जातियों को बुखार क्यों आ जाता है !
पंजाब का ब्राह्मण और मद्रास के ब्राह्मणों को कोई निकट के वंश का संबंध नही है. मद्रास के ब्राह्मण और पेरिया अछूतों का वंश एक है. बंगाल का ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों का वंश एक है. उत्तर भारत में कुछ ही ब्राह्मण विदेशी नस्ल के हैं ! ब्राह्मण इस भ्रम व कल्पना में मग्न है कि उनकी जाति सर्वश्रेष्ठ है क्यों की उन में अन्य नस्लों जातियों के रक्त का मिश्रण नही है. जाति प्रथा से ब्राह्मणों के अहंकार स्वार्थ का पोषण होता है. खुद को श्रेष्ठ और उत्पादक श्रम समाज को नीच घोषित कर खुद को श्रम से दूर कर शोषक बन गए ! जाति प्रथा और एक जाति का लोकतंत्र पर वर्चस्व लोकतंत्र के लिए त्रासदी है. ब्राह्मण जाति ने अन्य जातियों को मौका नही देती, सभी निर्णय खुद करते है जिससे भारत आज भी एक पिछड़ा हुआ देश है ! नार्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक में बैठने वाले सभी प्रमुख सचिव या जॉइंट सचिवों में एक भी OBC SC ST वर्ग का नही है. देश के सभी बड़े फैसले येही से जारी होता है ! कोरोना वायरस रोकने में, मजदूरों को राहत देने में बड़ी जातियों के अफसर नाकाम रहे. अर्तव्यवस्था को दुबारा शुरू करने का कोई इनके पास प्लान नही. 40 दिनों में कोई मास्टर प्लान नही बना पाए. यह सब उन्ही अफसरों के कारण हो रहा है जिनकी सरकार में बिना किसीं परीक्षा के लेटरल इंट्री हुई है. सारे निर्णय कुछ ख़ास जातियों के मंत्री अफसर ले रहे हैं देश की ख़राब हालात का जिम्मेदार भी येही जाति है जिसे श्रेष्ठ होने की बीमारी है ! असल में यह लोग सदियों से नकम हैं. नॉट फिट फॉर एनी जॉब. अगर यह लोग सर्वश्रेष्ठ हैं तो इनका काम सर्वश्रेष्ठ क्यों नही है ?