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Ambedkar Saheb Media Group

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यह मूर्ति अफगानिस्तान के हद्दा क्षेत्र से मिली थी। इसे डेविड टी. ओस्ले ने डैलस म्यूजियम आॅफ आर्ट, टेक्सास को गिफ्ट किया है। मेरा अनुमान है कि ये कोई दूसरा बोधिसत्व नहीं हैं बल्कि खुद सम्राट असोक हैं, जिन्होंने लिखित रूप से अपने को बौद्ध शाक्य बताया है और ये चिंतन- मुद्रा बौद्ध शाक्य अशोक की है। ये सिंहासन के छोरों पर वही सिंह हैं जो अशोक के सिंह-स्तंभ पर हैं और ये दोनों सिरों के सिंह अपने सिंहासन नाम को सार्थक करते हैं ।

Prof Rajendra Prasad Singh

Gaurav Singh
Impatient
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Nov 06, 2020

Great insight. 💙

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