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Jul 10, 2022
In Mobile Material
English: An Instagram account with read aloud snippets from the Babasaheb Ambedkar's writing and speechs. Reading out relevant and contextual portion in the Instagram Post format. It is a good resource for the people who have not read Dr. B.R Ambedkar's work so now they can listen and get an overview of Babasaheb's ideas. Account Link: 👇🏼https://www.instagram.com/tv/Cf0Lz8mlbuX/ ?igshid=YmMyMTA2M2Y= हिन्दी: यह एक इंस्टाग्राम अकाउंट है, जिसमें बाबासाहेब अम्बेडकर के लेखन और भाषणों के अंश पढ़े जाते हैं। इंस्टाग्राम पोस्ट के प्रारूप में किताबों से प्रासंगिक भाग को पढ़कर सुनाते हैं। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा संसाधन है जिन्होंने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के काम को नहीं पढ़ा है, इसलिए अब वे बाबासाहेब के विचारों को सुन सकते हैं और एक सरसरी तौर पर सार समझ सकते हैं। Tags: #ambekarresources #instagram #audiosnippets #audioposts #ambedkarbooks #newmedia #social #अम्बेडकर_रिसोर्सेज_डाॅट_काॅम #इंस्टाग्राम #एकाउंट #आडियो_पोस्ट #बाबासाहेब_की_किताबें #सोशल #नया_माध्यम
आप बाबासाहेब के विचारों को सुन सकते हैं इस इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से। content media
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Mar 06, 2021
In Scholarships
वर्ष 2021 के अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए इग्नू ने फीस फ्री कोर्स की लिस्ट जारी की है। ये सब कोर्स SC / ST के विद्यार्थीयो के लिए फ्री हैं । फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 15 मार्च हैं। बुक फ्री में घर पर आएगी। कम्प्लीट लिस्ट के लिए नीचे दी गई PDF देखें या सीधे इग्नू की वेबसाइट के इस लिंक पर इससे संबंधित सभी ऑर्डर की PDF कापी देखें। 👇🏼 इस लिंक पर क्लिक कीजिए: 🔗 आशा है, कि यह सूचना आपके काम आयेगी। सूचना सौजन्य: अनिल कुमार सागर
इग्नू के फ्री कोर्स content media
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Jan 23, 2021
In Scholarships
जुलाई - अगस्त 2020 मे हमने आपको MPBS, India (यानि मिशन पे बेक टू सोसायटी, इंडिया) स्कॉलरशिप के बारे बताया था। 🔗 यह रहा लिंक: पूरी पोस्ट पढ़े। इस सूचना का प्रभाव सकारात्मक रहा। गौरव सिंह जो बहुजन समाज के मेधावी छात्र हैं और उच्च शिक्षा के लिए MPBS, India के द्वारा आर्थिक सहयोग की वज़ह से राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी संस्थान CIPET | सिपेट: सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिकस् एण्ड टेक्नोलॉजी मे हो गया। MPBS, India और इसको संचालित करने वाले सभी सदस्यगण धन्यवाद के पात्र हैं। हमे आशा है,भविष्य में भी 'मिशन पे बेक टू सोसायटी, इंडिया' इसी प्रकार अपने समाज के मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की मदद करने का प्रयास जारी रखेगी। गौरव ने स्वयं हमें यह बताया की अम्बेडकर रिसोर्सेज डाॅट काॅम से उन्हें यह जानकरी मिली थी। इस प्रकार अपनी यह वेबसाइट भी कुछ सार्थक हो रही है। वैसे गौरव, इस वेबसाइट के पाठक होने के साथ-साथ फोरम और सोशल सेक्शन में बाबासाहब से संबंधित जानकारी भी पोस्ट करते रहते हैं। 🙎🏽‍♂️ यह रहा उनके प्रोफाईल का लिंक: गौरव सिंह हम बाकी पाठकों से भी इस वेबसाइट के विभिन्न सेक्शन जैसे फोरम और सोशल आदि मे रचनात्मक सहयोग व जानकरी पोस्ट करने की अपील करते हैं। यह एक crowd sourced web platform है, यानि जनता के लिए जनता द्वारा! जिस प्रकार Facebook है उसी प्रकार अपना Social सेक्शन है।
धन्यवाद, मिशन पे बेक टू सोसायटी, इंडिया। content media
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Nov 07, 2020
In Scholarships
University Grants Commission यानि कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है जो पूरे देश के तमाम विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के सपने को पूरा करने में स्कॉलरशिप यानि कि छात्रवृत्तियां प्रदान कर मदद करती है। अतः इस आयोग द्वारा संचालित छात्रवृत्ति योजनायें यूजीसी स्कॉलरशिप कही जातीं हैं। यूजीसी का उद्देश्य सभी को उत्तम उच्च शिक्षा प्रदान करवाना है। इसलिए यूजीसी की वेबसाइट पर उनके नाम के नीचे कैप्शन मे मोट्टो लाइन लिखी रहती है: "क्वालिटी हायर एजुकेशन फाॅर ऑल"
यूजीसी स्कॉलरशिप (UGC Scholarship)  content media
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Oct 26, 2020
In Educational loans
विद्या लक्ष्मी एक ऑनलाइन एजुकेशन लोन पोर्टल है जो वित्तीय सेवाएं विभाग (वित्त मंत्रालय), उच्चशिक्षा विभाग (शिक्षा मंत्रालय) और इंडियन बैंक एशोसियेशन (IBA) के साझा सहयोग व मार्गदर्शन से स्थापित किया गया है। जिसका उद्देश्य पढ़ाई के लिए लोन देने मे सहयोग प्रदान करना है। इस पोर्टल का संचालन और देखरेख नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड का डिजिटल विभाग (eNSDL) यानि कि इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटीज करता है। यह रहा लिंक: https://www.vidyalakshmi.co.in/Students/ अत: सरकारी और सुरक्षित है। यानि कि आपको अपनी कागजी कार्यवाही भी आपको सजगता और सत्यता से करनी पड़ेगी जो कि आपके द्वारा प्रस्तुत किये गये कागज़ात से प्रमाणित हो। इसलिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने से पहले ज़रूरी कागजात चेक कर लें और जो उपलब्ध नही है तो पहले उसे बनवा लें। हम विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर लगने वाले प्रमुख प्रमाणपत्रों की सूची नीचे दे रहे हैं। विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर निम्न कागजात या प्रमाणपत्र चाहिए होंगे। मार्कशीट: आपकी अब तक की शिक्षा के अंकपत्र (यानि मार्कशीट) एडमिशन का प्रूफ: (जिस कालेज या कोर्स मे एडमिशन मिला है उसका ऑफर लेटर/रिजल्ट लिस्ट/ मेरिट लिस्ट) कोर्स फीस स्ट्रक्चर: कालेज द्वारा लिखित व प्रदान किया गया कोर्स मे लगने वाले खर्च का ब्यौरा (यानि की पूरे कोर्स की लागत।) दो- दो पासपोर्ट साइज फोटो: लोन एप्लाई करने वाले का का पासपोर्ट साइज फोटो (अभिभावक/सहभागी/गारन्टर) आधार कार्ड व पैन कार्ड: आधार कार्ड और पैन कार्ड अब हर जगह लगता है और यहां भी जरूरत पड़ेगी (अगर नही है तो एक शपथ पत्र या ऐफिडेविट लगाना पड़ेगा) इन्कम सर्टिफिकेट व सम्पत्ति प्रमाणपत्र: अभिभावक/सहभागी या गारन्टर की वार्षिक आय का प्रमाणपत्र/ सम्पत्ति प्रमाणपत्र (अगर कोई सम्पत्ति हो तो यह प्रमाणपत्र भी लगेगा) सैलरी सर्टिफिकेट: अगर आपके अभिभावक या लोन लेने वाला सहभागी नौकरी करते हैं तो लेटेस्ट सैलरी सर्टिफिकेट व फार्म 16 भी लगेगा। ITAO या IT returns: (इन्कम टैक्स रिटर्न या एसेसमेंट ऑर्डर सर्टिफिकेट) यह प्रमाणपत्र उन पर लागू है जिनकी वार्षिक आय इतनी है कि टैक्स अदा करने के दायरे मे आती है। ज़मीन या प्रापर्टी के कागज की कापी: आधिकतर यह आपके अभिभावक या सहभागी पर लागू होता है, (अगर सीधे आपके नाम यह कागजात हैं तो आपको लगाने पड़ेगे लेकिन ऐसा बहुत कम देखा गया है) जब आपके पास सारे डाक्यूमेंट्स हों तब आप ऑनलाइन पोर्टल पर जायें। यह रहे विद्या लक्ष्मी वेबसाइट पर एप्लाई करने के मुख्य कदम: पहले अपने आपको पोर्टल पर रजिस्टर करें यानि लाॅगइन आईडी वगैरह बनायें। फिर फार्म भरें (CELAF: यानि काॅमन एजुकेशन लोन एप्लीकेशन फार्म) फिर जहां और जिस बैंक से आपको लगता है कि लोन मिल सकता है उन बैंकों को सलेक्ट कर लें और एप्लाई करें। इस पोर्टल का यह फायदा है कि आपके कागज़ात पोर्टल पर रहते हैं और आप एक साथ कई बैंकों से लोन मिलने की संभावना जांच सकते हैं बार-बार, इधर-उधर कागजात लगाने की समस्या से बच सकते हैं। नोट: आप उन्ही बैंकों मे एप्लाई करें जो आपके क्षेत्र मे मौजूद हों। लेकिन जिस प्रकार से सरकारी कार्यवाही चलती है उसी गति के हिसाब से परिणाम की आशा करें, न कि अमेजाॅन डाॅट काॅम जैसी सर्विस की। हम विद्यालक्ष्मी काॅमन एजुकेशन लोन एप्लीकेशन फार्म के प्रारूप या सैम्पल भी दिखा रहे हैं। नीचे हम इंडियन बैंकर यूट्यूब चैनल से स्टेप वाई स्टेप पोर्टल पर एप्लाई करने का विडियो दे रहे हैं। हम मुरारी गर्ग जी को इस प्रकार के इन्फॉर्मेटिव वीडियोज के लिए विशेष आभार प्रकट करते हैं। वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मे मैनेजर हैं और उन्होंने यह यूट्यूब चैनल वीडियोज के माध्यम से जनता में बैंकिग संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए बनाया है। आप उनसे ट्विटर के माध्यम से अपने डाॅउट क्लियर कर सकते हैं। यह रहा उनका ट्विटर प्रोफाइल: https://twitter.com/murarigarg लोन की लिमिट: (यानि कि कितने रूपये तक का लोन मिल सकता है?) जब हम यह जानकारी लिख रहे हैं उस समय तक विद्या लक्ष्मी एजुकेशन लोन की लिमिट 7.5 लाख तक है। नोट: हम केवल देश के अन्दर शिक्षा संस्थानों की बात कर रहे हैं इसमें विदेश शिक्षा लोन शामिल नही है। श्रेय एवं साभार : विद्या लक्ष्मी वेबसाइट, इंडियन बैंकर यूट्यूब चैनल (मुरारी गर्ग जी) एवं गूगल सर्च। हमारी रचना और श्रेय नीति : यहां साझा की गयी सभी सामग्री (जानकारी, चित्र, वीडियो आदि ) सामाजिक कल्याण और सराहना के उद्देश्य से है। हम निष्पक्ष रूप से रचयिता और जानकारी स्रोत का उल्लेख करने में विश्वास करते हैं! अगर आपको आपकी किसी कृति का श्रेय नहीं लिखा गया है तो हमें लगता है कि हम उस मीडिया के स्रोत को खोजने में सक्षम नहीं थे। यदि आप उस विशेष कृति के स्वामी हैं या वास्तविक निर्माता का नाम जानते हैं, तो कृपया, इसे हमारे संज्ञान में लाएँ, हम पूरे सम्मान से श्रेय का उल्लेख करेंगे।
विद्या लक्ष्मी: एजुकेशनल लोन पोर्टल content media
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Jul 29, 2020
In Scholarships
दो दिनों से व्हाट्सएप्प पर एक मैसेज मिल रहा था कि अपने बहुजन समाज के आर्थिकरूप से कमजोर मेधावी छात्रों के लिए MPBS India org की छात्रवृत्ति योजना। क्योंकि यह अपने समाज से जुड़े छात्रों की भलाई की बात है तो बड़े भईया ने स्पेशली इसके बारे मे पोस्ट बनाने को बोला। अतः इसकी अधिक जानकारी के लिए संस्था से जुड़े ओमवीर जी से फोन पर बातचीत की उन्होंने हमें बताया कि पिछले 2 वर्षों से यह छात्रवृत्ति योजना चल रही है। धीरे-धीरे संस्था अपनी क्षमता के अनुसार कार्य कर रही है। इस बार 4 से 5 छात्रों को अधिकतम पचास - पचास हजार रुपए की आर्थिक सहयोग प्रदान करने की व्यवस्था रहेगी। भविष्य मे यह दायरा बढ़ेगा। साथ ही यह अपने समाज के सम्पन्न और सक्षम लोगों के संस्था से जुड़ने व आर्थिक सहयोग पर भी डीपेन्ड करेगा। हम आशा करते हैं कि यह प्रयास आगे बढ़ेगा, जिससे अपने तबके के छात्रों को मदद मिलती रहे और लोग जुड़े सहयोग करें। हमारी शुभकामनाऐं। यह रहा का व्हाट्सएप्प का वो मैसेज फोटो रूप में और नीचे इसका टेक्स्ट वर्जन भी काॅपी पेस्ट किया जा रहा है। अगर आप देश में किसी भी ऐसे छात्र छात्रा को जानते हैं जिसने विकट सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद, पढाई के लिए अपनी दृढ इच्छा शक्ति, लगन एवं योग्यता के बल पर उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं जीजीविषा दिखाई है और वर्तमान में उच्च शिक्षा में प्रवेश पाने के लिए या अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो #Mission_Pay_Back_to_Society (MPBS) ऐसे जरूरतमंद बच्चों को #स्याजीराव_गायकवाड़, #सावित्री_बाई_फूले एवं #जोतिबा_फूले छात्रवृति देकर उनका यथासंभव प्रोत्साहन एवं उचित मार्गदर्शन कर रही हैं। हमारी वेबसाइट www.mpbsindia.org पर जाकर ऐसे विद्यार्थी अपना पंजीयन तुरंत करा सकते हैं या हमें 98180-13880, 98107-26588, 99996-59788, 98188-25621 पर सीधे सम्पर्क कर सकते हैं। जो साथी इस #मुहिम_के_साझेदार बनना चाहते हैं उनका भी स्वागत है। इसके लिए आवेदन 30 जुलाई 2020 से स्वीकार किए जा रहे हैं। मैसेज के अनुसार यह स्कॉलरशिप हायर एजुकेशन के लिए है। यह संस्था गाजियाबाद- हापुड मे स्थित है तो यह मानकर चला जा सकता है कि दिल्ली NCR और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बच्चों के लिए यह एक संभावित ऑप्शन हो सकता है। ओमवीर जी के अनुसार MPBS अखिल भारतीय स्तर पर मदद करती आ रही है, शर्त यही है कि छात्र टाॅपर हो। इसके अलावा यह संस्था उच्च सरकारी सेवाओं जैसे IAS, IPS के लिए रेगुलर कोचिंग भी करवाती है। कोरोना की वजह से अभी केवल बाॅयज़ की क्लासेज़ चालू हैं।पहले अस्थाई व्यवस्था के तहत गर्ल्स की सिविल सर्विसेज़ की कोचिंग करवाई जा रही थी। आशा है, भविष्य मे भी यह सुविधायें अपने समाज के बच्चों को उपलब्ध करवाती रहेंगी।
आर्थिकरूप से कमजोर छात्रों के लिए MPBS India स्कॉलरशिप content media
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Jul 24, 2020
In Mobile Material
जैसा की आपको पता है अम्बेडकर रिसोर्सेज डाॅट काॅम का उद्देश्य अम्बेडकर जी से संबंधित विभिन्न सामग्री के बारे में जानकारी देना है। इसी लिए हमने विभिन्न माध्यमों को कवर करने के लिए विभिन्न टॉपिक कैटिगरी बना रखीं हैं मोबाइल मैटेरियल के अन्तर्गत हम मोबाइल सुलभ माध्यम पर उपलब्ध सामग्री को कवर करने की कोशिश कर रहे हैं। YouTube वैसे तो फिल्म और विडियो कैटिगरी मे भी आता है पर भारत मे हम इसे मुख्यतः मोबाइल फोन पर सुलभ मानकर चलते हैं और यह चैनल विशेष के विषय-वस्तु और प्रस्तुतिकरण पर भी निर्भर करेगा कि किस चैनल को किस कैटिगरी के अन्तर्गत लिस्ट किया जाए और विवरण आदि लिखा जाए। अम्बेडकरनामा यूट्यूब चैनल डाक्टर रतन लाल जी द्वारा अभी हाल ही मे शुरू किया प्रयास है। जैसा कि उनके सबसे पहले विडियो अपलोड को यूट्यूब तीन माह दिखा रहा है। यानि कि कोरोना लाॅकडाउन के समय उन्होंने यह चैनल स्टार्ट किया और आज एक अच्छा-खासा रिसोर्स बना डाला। रतन जी आपका यह प्रयास प्रेरणादायक और सराहनीय है। अम्बेडकरनामा चैनल के विडियोज़ संबोधन स्टाइल मे बनाये गये हैं जिसमें दर्शक को एक मित्र या फिर चर्चा का समकक्षी मानकर विचार-विमर्श की शैली शूट किया गया है। ऐसा शायद प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट -प्रोडक्शन की जटिलता और खर्चे, विचारों के प्रवाह मे रोड़ा न बन जाए ..की वज़ह से किया हो सकता है। अत: इन वीडियोज़ को आप पॉडकास्ट का चित्रित रूप कह सकते हैं। पर कई बार सन्दर्भ को और सही से दर्शकों के मन मे प्रतिष्ठित करने के लिए व भावनात्मक तौर पर जोड़ने के लिए विजुअल्स और ग्राफिक्स का प्रयोग होता तो और सुन्दर रहता। आशा है भविष्य मे रतन जी इस ओर भी ध्यान देंगे। हम अक्सर इंटरनैट पर अम्बेडकर जी से संबंधित नये-नये प्रयोगों व संसाधनों के बारे सर्च करते रहते हैं और रतन जी का यह प्रयास दिखाता है कि एक व्यक्ति चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है और समाज के प्रति कुछ न कुछ योगदान दे सकता है। अम्बेडकरनामा यूट्यूब चैनल के बाद हमने रतन जी के बारे मे इंटरनैट से जानना शुरू किया। ट्विटर पर उनकी बायोग्राफी के अनुसार: रतन लाल जी बिहार से हैं और खुद को एक अध्यापक, एक्टिविस्ट, लेखक और अम्बेडकराइट आंदोलन का बालक रूप में वर्णित करते हैं। फिर ट्विटर रिप्लाइज स्कैन करके ही इनकी किताबों के बारे में पता चला। इनकी एक पुस्तक "और कितने रोहित" amazon पर उपलब्ध दिखाता पर इस समय आउट ऑफ स्टाॅक बोल रहा है। आप चाहें तो नीचे दिए लिंक पर इस पुस्तक की उपलब्धता का स्टेटस चैक कर सकते हैं। अंत मे हम रतन जी को इस प्रयास के लिए शुभकामनायें देते हैं। साभार व सौजन्य: डाक्टर रतन लाल जी उनके यूट्यूब - ट्विटर प्रोफाइल, गूगल सर्च व अमेजाॅन। Our attribution policy statement: the images, videos or any text shared here is for appreciation purpose. we believe in fair attribution! incase you find anything not given due credit that means we were not able to find the source of that media. if you are owner of that particular piece or know the actual creator's name please, bring it to our notice we will ascribe it properly.
YouTube channel: अम्बेडकरनामा content media
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Jul 10, 2020
In WhatsApp Stories
🌼 दुनिया में दुखियों ने जितने आँसू बहाये है, उनका पानी महासागर में जितना जल है उससे भी अधिक है। 🌼 विश्व में आनन्द की आशा करना महान् मूर्खता ही नहीँ,अपितु पागलपन है। 🌼 जीवन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे मूलधन की भी पूर्ति नहीँ होती। 🌼 अविद्या ही दुखों का मूल कारण है। प्रत्येक विषय का कुछ-न-कुछ कारण होता है। कोई भी घटना अकारण उपस्थित नहीँ हो सकती। 🌼 एक व्यक्ति यदि अपने जीवनकाल में ही राग, द्वेष, मोह, आसक्ति, अहंकार, इत्यादि पर विजय पा लेता है, तब वह मुक्त ही जाता है। 🌼 निर्वाण-प्राप्ति के बाद शरीर विद्यमान रहता है, क्योंकि शरीर पूर्व जन्मों के कर्मों का फल है। जब तक वे कर्म समाप्त नहीँ होते शरीर विद्यमान रहता है। बुद्ध की यही धारणा उपनिषदों की जीवन-मुक्ति से मेल खाती है। 🌼 सुख की अनुभूति अस्थाई ओर दुखप्रद है, परंतु शांति की अनुभूति अमृत तुल्य है। 🌼 निर्वाण से समस्त दुखों ओर उनके कारणों का अन्त हो जाता है। निर्वाण से पुनर्जन्म का अन्त हो जाता है। निर्वाण प्राप्त व्यक्ति शेष जीवन गहरी शांति से जीता है, निर्वाण से प्राप्त शांति ओर सांसारिक वस्तुओं से प्राप्त शांति में अन्तर है। सांसारिक वस्तुओं से प्राप्त शांति अस्थाई ओर दुखदायी होती है। परंतु निर्वाण से प्राप्त शांति स्थाई ओर आनन्ददायक होती है। 🌼 वस्तुओं के यथार्थ स्वरूप कॊ जानना ही अविद्या कॊ दूर करने का साधन है, जिसे सम्यक् दृष्टि कहते है। 🌼 सम्यक् समाधि में चित्त की वृतियों का पूर्णतया निरोध हो जाने से सभी प्रकार के दुखों का पूर्णतया निरोध हो जाता है। यह अवस्था सुख-दुख से परे निर्वाण अवस्था है। 🌼 आत्म-दीपो भव - आप ही अपना प्रकाश(गुरु) बनो। बिना विवेक-विचार अर्थात बिना सोचे-समझे किसी बात कॊ कभी स्वीकार नहीँ करना चाहिये। साभार: व्हाट्सएप्प ग्रुप मेसेज भारतीय दर्शन-प्रो. हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा (मगध विश्वविद्यालय)
भगवान बुद्ध के जीवन से कुछ विचार। content media
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Jul 09, 2020
In WhatsApp Stories
हम अक्सर यह सोचकर रह जाते हैं कि जब हम सक्षम हो जायेगे और पारिवारिक जिम्मेदारियां खत्म हो जायेंगी तब समाज के बारे मे कुछ सोचेंगे। व्हाट्सएप्प से ली गयीं यह प्रेरणादायक पंक्तियाँ इसी बारे मे जागरूक करतीं हैं। तथागत बुद्ध, जिन्होंने राजकुमार का पद छोड़ने के बाद महल, धन दौलत और सभी प्रकार की चल -अचल संपत्ति का त्याग कर दिया एवं उनके पास समाज को देने के लिए कुछ भी था लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पूरी मानवता को वो सब कुछ दिया जो कि बड़े से बड़े राजा-महाराजा नहीं दे सकते। ज्योतिराव फुले, उनको भी उनके पिता ने चल -अचल संपत्ति से बेदखल करने के बाद मनुवादी व्यवस्था के चलते सामाजिक दवाब से मजबूर होकर उन्हें घर से निकाल दिया था और ज्योतिराव फुले के पास फूटी कौड़ी तक नहीं बची थी लेकिन उसके बाउजूद भी उन्होंने समाज में वो क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया कि समाज उनको सच्चा राष्ट्रपिता मानता है।    बाबासाहब अम्बेडकर, उनके पास भी समाज को देने के लिए कुछ भी नहीं था, वे तो भोजन भी एक टाईम मुश्किल से खा पाते थे, दवाई के अभाव में उनके चार बच्चे मौत के आगोश में चले गए थे लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने समाज को इतना कुछ दिया कि पूरी दुनिया में आज तक कोई भी नहीं दे सका।    मान्यवर कांशीराम साहब,वे जब तक एक बड़े अधिकारी थे तब तक समाज को कुछ नहीं दे पाये, लेकिन जब नौकरी व घर बार छोड़कर बिल्कुल खाली हो गए, उसके बाद उन्होंने बहुजन समाज को सामाजिक परिवर्तन व राजनीतिक चेतना का संदेश दिया उसे हम सब जानते हैं।    इसके अलावा हमारे तमाम महापुरूषों नानक, रैदास, कबीर, पेरियार आदि का जीवन बहुत ही गरीबी में होने के बाद भी उन्होंने समाज को वो सब कुछ दिया कि जिसको हम सब कभी भी भुला नहीं सकते और उनका ऋण नहीं चुका सकते। यदि हम देने का संकल्प करें तो बहुत कुछ दे सकते हैं। हताश होकर बैठने वालों का हौसला बढ़ा सकते हैं। गफलत में सोये हुए समाज को जगा सकते हैं। अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए समाज को तैयार कर सकते हैं। समाज के बीच में जाकर महापुरुषों की बात बता सकते हैं। अतः हमें यह कभी नहीं कहना चाहिए कि मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है इसलिये मैं समाज को क्या दे सकता हूँ ...😀
मैं समाज को क्या दे सकता हूँ ? content media
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Jul 01, 2020
In News Scan
There is a brutal surge in atrocities committed on poor, dalits and tribals in the recent times. It's heart numbing to read these news and incidents, the graphic nature of violence can really shake you. While collecting these news I found The Dalit Voice Twitter handle had the most extensive coverage of these incidents also their tweets had visuals which most news reports shyed away to accommodate. So in this news scan you will see screenshots of their Twitter feed. These images are linked so that you can go to actual tweet and see the full version of photographs. I feel any of us who want to be regularly be updated about these events than should follow The Dalit Voice on Twitter. The details and a snap shot is given at the bottom of this article. Just click or tap onto the image and you will be redirected to their Twitter handle profile. Hope this will help! We also thank the people behind "The Dalit Voice" to take up the task to raise the voice of our section of society on daily basis. [1] Uttar Pradesh, Amroha 9 June 2020 14 June 2020 15 June 2020 [2] Madhya Pradesh, Gwalior [3] Maharashtra, Savarkheda village 24 June 2020 [4] Tamil Nadu, Thoothukudi 26 June 2020 26 June 2020 [5] Karnataka, Madhugiri, Tippapura village 17 June 2020 So you see this trend is not limited to one place but all over India. What could be the reason? There should be a holistic analysis. This could be a psychological effect that a hyper Hindutva government is in place thus the sanatani (say Manuwadi) way of living is enacted in the modern times. सरकार हमारी है कौन क्या उखाड़ लेगा attitude. May be yes, may be no we need to discuss this. Is it social media? That driving people apart ... specifically mobile chat groups... I have seen hate messages they are humiliating and can really incite deep devil in a person. We need thoughts on this topic. Please, feel free to put down your thoughts analysing the root cause. credit and courtesy: The Dalit Voice Twitter feed, InShorts mobile news App and Google Search. Our attribution policy statement: the images, videos or any text shared here is for appreciation purpose. we believe in fair attribution! incase you find anything not given due credit that means we were not able to find the source of that media. if you are owner of that particular piece or know the actual creator's name please, bring it to our notice we will ascribe it properly.
Surge in atrocities on poor, dalits and tribals in last few months. content media
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Jun 08, 2020
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मैं काफी समय से विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप से दलित साहित्य और विमर्श को नोटिस कर रहा हूँ। इन दिनों बढ़ते भेदभाव के प्रति व्हाट्सएप पर आक्रोशपूर्ण अभिव्यक्ति काफी मुखर हो रही है। कुछ एक मेसेज बहुत लॉजिकल तर्क के साथ अपनी बात रखतें हैं और सोचने को मजबूर कर देतें हैं। प्रस्तुत हैं ऐसे ही दो उदाहरण। 1️⃣ •भारत एक ऐसा देश है जहां आस्था की बात करें तो हैलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाते है और शिक्षा की बात करें तो सिर पे लाठी बरसाई जाती है। •दूध नाले में और मूत प्याले में इसीलिए मेरा देश उजाले में नहीं जा रहा है। "नालंदा विश्वविद्यालय को खत्म करने वाले, आज JNU को खत्म कर रहें हैं।" मनु की संतानों की चाल वही बस सोच नई! SC/ST/OBC के लोग राम मंदिर ट्रस्ट में पुजारी के लिये आवेदन करके देखे, हिन्दू होने का भ्रम दूर हो जायेगा! •भारत में अंबेडकर के बारे में इसलिए नहीं पढ़ाया जाता हैं क्योंकि लोग कानून सीख जाएंगे तो मनुवादियों की गुलामी कौंन करेगा? •गंगा हमारे लिए पवित्र है, गंगाजल सिर्फ हमारे लिए पवित्र है!! फिर भी मैंने बनारस में बिसलेरी की बोतल बिकते देखी है!! •अंधविश्वास खतरे में हैं, इसलिए शिक्षा को ओर महँगा किया जा रहा है, ताकि अक्ल के बैलो को अंधविश्वास के हल मे जोता जा सके! शिक्षा,रोजगार के लिए आन्दोलन करना पड़े और मंदिरो के लिए बिना मांगे धन बरसे तो, देश विश्वगुरू नही पाखण्डगुरू ही बन सकता है। •एक बात ओर अगर न्यूटन भारत में पैदा होता, तो ऊपर से गिरे सेब को दैवीय फल मानकर अपनी बीवी को खिला देता और वो गर्भवती हो जाती नियम वगैरह नही बनते ओर न नोबल मिलता बस रोजगार शुरू हो जाता। संविधान जैसे ग्रन्थ को पढोगे तो हक और अधिकार मांगोगे और अगर धार्मिक ग्रंथ पढोगे तो पत्थर की मूर्ति के सामने केवल भीख मांगोगे तय आपको करना है कि आप किस दिशा में अपना प्रयास करते हो बाकी आपके ऊपर। 🙏🏼 •ब्राह्मणवाद की झूठी कहानी का पर्दाफाश होगा। आज नही तो कल निश्चित होगा। देश के लोगों का मान सम्मान स्वाभिमान छीनने वाले दुश्मनों का सत्यानाश होगा। जब शेर जागेगा तो लुटेरा गीदड़ दुम दबाकर भागेगा। अंधविश्वास भगाओ-आत्मविश्वास जगाओ। सवेरा और उजाला तब नहीं होता जब सूर्योदय होता है, उसके लिए आंखें भी खोलनी पड़ती है। आप ने इसे पढ़ने के लिए समय दिया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अब एक एहसान और कर दो इस संदेश को अन्य 10-20 साथियों में और ग्रुप मे भेज दो। बस यही तरीका है अपने साथियों को जागरूक करने का। *ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।* जय विज्ञान-जय संविधान-जय भारत! 🇮🇳 👏🏼👏🏼👏🏼 2️⃣
बढ़ते भेदभाव के प्रति व्हाट्सएप पर अभिव्यक्ति। content media
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Jun 08, 2020
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अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची! सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा, मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे! इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी! लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे! उन्होंने कहा कि, मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है! अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूँ! मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है! सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है और उसी भाषण से एक थ्योरी निकली Dignity of Labour (श्रम का महत्व) और इसका ये असर हुआ की जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया जैसे कि - कोब्लर, शूमेंकर, बुचर, टेलर, स्मिथ, कारपेंटर, पॉटर आदि। अमरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है इसीलिए वो दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति है। वहीं भारत में जो श्रम करता है उसका कोई सम्मान नहीं है वो छोटी जाति का है नीच है। यहाँ जो बिलकुल भी श्रम नहीं करता वो ऊंचा है। जो यहाँ सफाई करता है, उसे हेय (नीच) समझते हैं और जो गंदगी करता है उसे ऊँचा समझते हैं। ऐसी गलत मानसिकता के साथ हम दुनिया के नंबर एक देश बनने का सपना सिर्फ देख सकते है, लेकिन उसे पूरा नहीं कर सकते। जब तक कि हम श्रम को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखेंगे। जातिवाद और ऊँच नीच का भेदभाव किसी भी राष्ट्र निर्माण के लिए बहुत बड़ी बाधा है।
श्रम का महत्व। content media
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Apr 15, 2020
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greetings and wishes on Ambedkar Saaheb's 129th birth anniversary. Let's take inspiration.. and thank.. his efforts and work for our people. He is the reason India is India. heart felt gratitude and respect ! 🙏🏼🌟🙏🏼
14th April 2020 content media
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